मई में पितरों को प्रसन्न करने का दिन, पितृ पक्ष समान मिलेगा फल, जानें क्या करना है?
वैदिक पंचांग के अनुसार हिंदू धर्म में अश्विन मास में होने वाले पितृपक्ष का विशेष महत्व बताया गया है. पितृपक्ष के दिनों में नाराज पितरों को मनाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए अनेक प्रकार के अनुष्ठान, पूजा-पा, हवन, दान आदि किए जाते हैं. अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष के दिन बेहद ही खास बताए गए हैं. सालभर में कुछ तिथि ऐसी आती हैं, जिस दिन पितरों के निमित्त कोई भी कार्य करने पर लाभ की प्राप्ति होती है. ज्येष्ठ मास में पितृ कार्येषु अमावस्या के दिन यदि पितरों के निमित्त धार्मिक कार्य किया जाएं, तो साधकों को विशेष लाभ की प्राप्ति होने की मान्यता है.
इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड के हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री लोकल 18 को बताते हैं कि पितरों की शांति के लिए पितृपक्ष बेहद ही खास होते हैं. इन दिनों में नाराज पितरों को मनाने और प्रेत योनि में भटक रहे पितरों को मोक्ष देने के लिए धार्मिक अनुष्ठान करने का महत्व होता है. साल में सभी अमावस्या पर भी पितरों के निमित्त धार्मिक अनुष्ठान करने का महत्व है. ऐसे ही ज्येष्ठ मास में पितरों को मोक्ष देने और प्रसन्न करने के लिए खास दिन का आगमन होता है. साल 2025 में 26 मई को ज्येष्ठ मास की चतुर्दशी को पितृ कार्येषु अमावस्या मनाई जाएगी, जो पितरों के लिए बेहद ही खास तिथि है.
पितृ पक्ष के समान ही मिलेगा फल
उन्होंने कहा कि साल 2025 में चतुर्दशी विद्धा अमावस्या है, जिस कारण पितृ कार्येषु अमावस्या यानी 26 मई के दिन पितृ संबंधी कार्य अनुष्ठान, पिंडदान, तर्पण, पितरों को जलांजलि, तिलांजलि, दान आदि देने पर प्रेत योनि में भटक रहे पितरों को शांति मिलेगी और मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाएगी. इस दिन पितरों से संबंधित धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, हवन, यज्ञ, दान आदि करने पर आश्विन मास में होने वाले पितृ पक्ष के समान ही फल की प्राप्ति होने की धार्मिक मान्यता है.