'ऑपरेशन सिंदूर' पर सियासत तेज: मनोज झा ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, संसद के विशेष सत्र की मांग

पहलगाम आतंकी हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर को विपक्ष संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग पर अड़ा है. कांग्रेस इस मुद्दे को तेजी से उठा रही है. अब आरजेडी सांसद मनोज झा ने इसे लेकर प्रधानमंत्री मोदी को लेटर लिखा है. मनोज झा ने कहा, मैं ये लेटर देश के उन लोगों की चिंताओं और भावनाओं को व्यक्त करते हुए लिख रहा हूं, जो महसूस कर रहे हैं कि उन्हें देश के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में अंधेरे में छोड़ दिया गया है. देश के लोग ‘संगठित अराजकता’ को लेकर चिंतित हैं. मैं आपको पाकिस्तान के खिलाफ हाल ही में सीमा पार की गई कार्रवाइयों, उसके निहितार्थों और आगे के रास्ते पर चर्चा करने के लिए संसद का एक विशेष सत्र बुलाने का आग्रह करने के लिए लिख रहा हूं.
अपने पत्र में मनोज झा आगे लिखते हैं, सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण हमारी विदेश नीति के मामलों में विदेशी सरकारों का हस्तक्षेप का मामला है. दूसरा ये कि हमें एक मजबूत शासन ढांचा तैयार करना चाहिए. तीसरा ये कि मीडिया और इंफॉर्मेशन इकोसिस्टम में सुधार की चुनौतिया, जिसने न केवल सुरक्षा बलों के साहसी प्रयासों को कमज़ोर किया, बल्कि सामाजिक विभाजन और अशांति को भी बढ़ावा दिया. आखिर में राजनीतिक और चुनाव अभियानों में सुरक्षा बलों का अवसरवादी उपयोग गंभीर चिंता का विषय है. यह हमारे रक्षा बलों का राजनीतिकरण है.
ट्रंप ने 12 बार सीजफायर का क्रेडिट लिया
मनोज झा ने लिखा, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑपरेशन शुरू होने के बाद से कम से कम 12 बार भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का क्रेडिट लिया है. उन्होंने सीजफायर समझौतों के लिए दबाव डालने का जिक्र किया है. अमेरिका के कई अखबारों ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप की अचानक घोषणा भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार तनाव और वाशिंगटन से मिले-जुले संकेतों के बाद हुई. अमेरिकी प्रशासन ने आपकी सरकार में या इसके विपरीत किससे संपर्क किया? इन चर्चाओं में भारत ने क्या रुख या दृष्टिकोण व्यक्त किया?
देश की संसद में अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई
आरजेडी सांसद ने आगे लिखा, जब विदेशी नेता हमारे देश की सुरक्षा चुनौतियों को हल करने का क्रेडिट लेते हैं तो हमारे देश की वैश्विक स्थिति को धक्का लगता है. यह हमारी संप्रभुता को कमजोर करता है. अमेरिकी हस्तक्षेप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान को एक साथ जोड़ दिया है. देश की संसद में इस पर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है.
संसद को जवाब देने में हिचकिचाहट क्यों?
मनोज झा ने अपने पत्र में लिखा, अगर हमारे सुरक्षाबलों की प्रतिबद्धता और क्षमता को देखते हुए ऑपरेशन सफल रहा तो संसद को जवाब देने में कोई हिचकिचाहट क्यों होनी चाहिए? वैश्विक संसदीय आउटरीच मिशन से संकेत मिलता है कि भारत का मानना है कि वो दुनिया को समझाने में विफल रहा है. आधिकारिक पुष्टि से पहले सोशल मीडिया हैंडल ने अपुष्ट हताहतों की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया.
उम्मीद है कि जल्द ही संसद का सत्र होगा
उन्होंने कहा, सरकार का कर्तव्य है कि वह देश को पूरी जानकारी दे. रणनीतिक परिणामों और भविष्य के सिद्धांतों पर चर्चा करे. संसद ऐसे राष्ट्रीय महत्व के मामलों के लिए ही है. विशेष सत्र बुलाने में सरकार की अब तक की अनिच्छा या तो अपने स्वयं के कथन में आत्मविश्वास की कमी या जानबूझकर अस्पष्टता को दर्शाती है. इनमें से कोई भी राष्ट्रीय हितों की पूर्ति नहीं करता. हमें उम्मीद है कि जल्द ही संसद का सत्र होगा.