उप मुख्यमंत्री ने रीवा शहर में निर्माणाधीन विकास कार्यों की समीक्षा की
उप मुख्यमंत्री ने रीवा शहर में निर्माणाधीन विकास कार्यों की समीक्षा की
नियत समय सीमा में गुणवत्तापूर्ण कार्य करने के दिए निर्देश
उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि रीवा शहर में निर्माणाधीन विकास कार्यों को पूर्ण गुणवत्ता के साथ समय सीमा में पूरा कराया जाए तथा आगामी 15 जून को जिला चिकित्सालय के विस्तार भवन एवं ओपीडी का लोकार्पण कराएं। राजनिवास सर्किट हाउस में आयोजित समीक्षा बैठक में उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने पीआईयू द्वारा पुनर्घनत्वीकरण योजनान्तर्गत 65 करोड़ रुपए की लागत से निर्माणाधीन विकास कार्यों को गति देकर शीघ्रता से पूर्ण कराने के निर्देश दिए। उन्होंने व्यंकट क्लब भवन तथा पीडब्ल्यूडी भवन का शेष निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण करने के लिए संबंधित निर्माण एजेंसियों को निर्देशित किया। कोल भवन के शेष निर्माण कार्य सहित बाउन्ड्रीवाल का कार्य कराने तथा पीके स्कूल सांदीपनी विद्यालय के निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि दिसम्बर तक सांदीपनी विद्यालय का निर्माण कार्य पूरा करें। उन्होंने ढेकहा तिराहा से करहिया मण्डी तक सड़क निर्माण कार्य को वर्षाकाल से पूर्व पूरा करने के निर्देश दिए। उप मुख्यमंत्री ने रीवा बायपास फोरलेन के निर्माण के लिए शेष अर्जित भूमि का अधिग्रहण कर निर्माण एजेंसी को हस्तांतरित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 19 किलोमीटर लंबाई का बायपास सर्विस रोड के साथ फोरलेन बन रहा है। इसके कार्य में व्यवधान न हो तथा यह कार्य समय सीमा में पूर्ण हो जाए। उन्होंने लायब्रेरी भवन सहित अन्य शासकीय भवनों के रूके हुए निर्माण कार्य को शीघ्र प्रारंभ कराने के निर्देश दिए। बैठक में कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल, आयुक्त नगर निगम डॉ सौरभ सोनवड़े, राजेश पाण्डेय सहित विभिन्न निर्माण विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज को ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023 से सम्मानित किए जाने पर दी हार्दिक बधाई
रीवा (कीर्तिप्रभा) उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा पूज्य संत, पद्मविभूषित जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर, रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज को संस्कृत भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान हेतु प्रतिष्ठित च्ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023ज् से सम्मानित किए जाने पर हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें आत्मीय बधाई दी है। उपमुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी का संपूर्ण जीवन त्याग, तपस्या, विद्वता और करुणा का अनुपम संगम है। उन्होंने शारीरिक सीमाओं के बावजूद ज्ञान, संस्कृति और संस्कृत साहित्य के संवर्धन हेतु जो कार्य किया है, वह समूचे विश्व के लिए प्रेरणास्रोत है। उनका यह सम्मान वास्तव में उस सनातन चेतना का सम्मान है, जो भारत की आत्मा में प्रवाहित होती है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि संस्कृत भाषा और दर्शन को जन-जन तक पहुँचाने के लिए जगद्गुरु जी ने जो अनथक साधना की है, वह एक युगद्रष्टा संत की पहचान है। ज्ञानपीठ जैसा सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान उनके तप और कर्म की स्वीकृति है। यह केवल एक संत का नहीं, अपितु सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति और परंपरा का गौरव है। उल्लेखनीय है कि जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी जन्म से दृष्टिबाधित होने के बावजूद रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद, दर्शन और संस्कृत साहित्य में अप्रतिम विद्वान हैं। वे अनेक भाषाओं में निपुण हैं और उन्होंने दर्जनों ग्रंथों की रचना की है। वे तुलसीपीठ, चित्रकूट के अधिष्ठाता हैं और शिक्षा, दिव्यांगजन सेवा व धर्म के क्षेत्र में अनेक संस्थाओं के माध्यम से कार्य कर रहे हैं।
विवादों में उलझी अतिशेष शिक्षक तबादला प्रक्रिया
- स्कूल शिक्षा मंत्री के हस्तक्षेप के बाद अतिशेष की प्रक्रिया स्थगित
रीवा / भोपाल(कीर्तिप्रभा)
कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है तो कहीं ये जरूरत से ज्यादा हैं। इसी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने तबादले की प्रक्रिया शुरु करने से पहले अतिशेष शिक्षकों को उन स्कूलों में भेजने की योजना बनाई थी जहां शिक्षकों की कमी है। लेकिन, फिलहाल यह प्रक्रिया विवादों में उलझ गई है। जैसे ही प्रदेश के शिक्षा पोर्टल पर लगभग 20,344 शिक्षकों की अतिशेष सूची जारी हुई, शिक्षकों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। शिक्षकों का आरोप है कि पोर्टल पर दर्ज जानकारी गलत है और कई शिक्षकों को अतिशेष बताया गया है, जबकि वे अपनी पोस्ट पर हैं। कई जगह सेवानिवृत्त शिक्षक भी अभी पदस्थ बताए जा रहे हैं। इसको देखते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह के हस्तक्षेप के बाद अतिशेष शिक्षकों के ट्रांसफर की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है।
दरअसल, लोक शिक्षण संचालनालय के अफसरों ने आधी-अधूरी तैयारियों के साथ अतिशेष के ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू की थी। स्कूल शिक्षा विभाग की ट्रांसफर पॉलिसी में सीनियर व जीएडी की ट्रांसफर पॉलिसी में जूनियर को अतिशेष माना जाता है। स्कूल शिक्षा में फिलहाल दस हजार से ज्यादा शिक्षक अतिशेष हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में चल रहे ट्रांसफर में अतिशेष शिक्षकों से दूसरे स्कूल में भेजने के लिए आवेदन मांगे गए थे। अधिकांश अतिशेष शिक्षकों ने प्रक्रिया को गलत बताया। कई शिक्षकों ने गलत तरीके से अतिशेष करने के आरोप विभाग पर लगाए। इसके विरोध में राज्य कर्मचारी संघ, शिक्षक संघ समेत कई संगठनों ने विभागीय मंत्री उदय प्रताप सिंह, सचिव स्कूल शिक्षा संजय गोयल व आयुक्त लोक शिक्षण शिल्पा गुप्ता को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने अतिशेष शिक्षकों की प्रक्रिया को स्थगित करने के निर्देश दिए हैं। मप्र शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. क्षत्रवीर सिंह राठौड़ का कहना है कि लोक शिक्षण द्वारा मनमाने तरीके से अतिशेष की प्रक्रिया की जा रही थी, जिससे शिक्षकों में भय व्याप्त था। स्कूल शिक्षा मंत्री ने प्रक्रिया को निरस्त करने के दिए निर्देश से शिक्षकों में खुशी है।
एजुकेशन पोर्टल पर गलत जानकारी
जानकारी के अनुसार एजुकेशन पोर्टल पर गलत जानकारी दर्ज होने के कारण विवाद की स्थिति निर्मित हुई है। लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक केके दिवेदी ने सभी संयुक्त संचालक व डीईओ को निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि राज्य स्तर पर लोक सेवकों द्वारा उपस्थित होकर शाला में पदस्थापना दिनांक के परिवर्तन संबंधी आवेदन प्रस्तुत किए जा रहे है। उल्लेखनीय है कि एजुकेशन पोर्टल 3.0 में समस्त लोक सेवकों की जानकारी प्रमाणीकरण विकासखंड शिक्षा अधिकारी के स्तर से किया गया है, फिर भी विसंगति की स्थिति है। इसे देखते हुए जिला एवं विकासखंड स्तर पर लोक सेवकों की शाला में पदस्थापना की दिनांक का परीक्षण कर यदि किसी लोक सेवक की पदस्थापना दिनांक में परिवर्तन है, तो तथ्यात्मक दस्तावेज के साथ जानकारी तत्काल उपलब्ध कराएं। संचालक ने निर्देश दिए हैं कि अक्टूबर 2024 से अब तक नियुक्त शिक्षकों के आईडी लंबित होने विषयक नव नियुक्त शिक्षकों द्वारा शाला में कार्यभार ग्रहण कर लिया गया है, लेकिन जिला स्तर से इन शिक्षको के आईडी नहीं बनाने के कारण संबंधित शाला में रिक्त प्रदर्शित हो रही है। सभी शिक्षकों के आईडी अनिवार्य जनरेट कर यह प्रमाण-पत्र भेजे की सभी शिक्षकों के आईडी जनरेट कर दिये गए हैं। मप्र राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष शिववीर सिंह भदौरिया का कहना है कि लोक शिक्षण संचालनालय की अतिशेष की प्रक्रिया गलत है। पहले पोर्टल में सुधार किया जाना चाहिए। इसके बाद अतिशेष शिक्षकों के दावे-आपत्ति बुलवाना चाहिए, ल
ेकिन विभाग का रवैया मनमाना है। विभागीय मंत्री के प्रक्रिया को स्थगित करने पर आभार व्यक्त करते हैं।
मिट्टी के पोषक तत्व और गुण बताता है मृदा स्वास्थ्य कार्ड
रीवा (कीर्तिप्रभा). भारत सरकार द्वारा स्वाइल हेल्थ कार्ड यानी मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत किसान सिंचित क्षेत्र में 2.5 एकड़ तथा अंसिचित क्षेत्र में 10 एकड़ क्षेत्र से मिट्टी का नमूना लेकर उसकी जाँच कराते हैं। यह जाँच कृषि विभाग द्वारा की जाती है। कृषि विभाग द्वारा मिट्टी के नमूने लिए जाने पर इसकी जाँच पूरी तरह से नि:शुल्क रहती है। यदि किसान स्वयं सेंपल लेकर जाता है तो मिट्टी के नमूने की जाँच के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति के किसान को तीन रुपए तथा सामान्य वर्ग के किसान को पाँच रुपए प्रति नमूना शुल्क देना होता है। मिट्टी में माइक्रो न्यूट्रेंट की जाँच कराने के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को 30 रुपए तथा सामान्य वर्ग के किसानों को 40 रुपए शुल्क देना होता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड से किसान को उसके खेती की मिट्टी के गुणों तथा पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है। इस संबंध में उप संचालक कृषि यूपी बागरी ने बताया कि मिट्टी के पोषक तत्व के आधार पर किसान को उचित फसल की सलाह दी जाती है। मिट्टी में यदि पोषक तत्व की कमी है तो उसके अनुरूप उर्वरक के उपयोग का सुझाव दिया जाता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसान के खेत की मिट्टी का रिपोर्ट कार्ड है। इस कार्ड में किसान का नाम, सर्वे नम्बर, खेत का रकबा आदि लिखा रहता है। प्रत्येक तीन साल में मिट्टी की जाँच कराकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दर्ज कराना आवश्यक है। हर किसान अपने प्रत्येक खेत की मिट्टी की जाँच कराकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड अवश्य बनवाएं। इससे सही फसल के चयन, खाद के संतुलित उपयोग और जल प्रदूषण से बचाव में सहायता मिलती है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रत्येक किसान के लिए बहुत उपयोगी है।
क्रमांक-208-1647-उमेश तिवारी
उप मुख्यमंत्री ने पतंजलि जिला प्रमुख श्री विश्वकर्मा के स्वास्थ्य की ली जानकारी
रीवा (कीर्तिप्रभा). उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल संजय गांधी अस्पताल पहुंचकर पतं?जलि जिला प्रमुख श्री रामाधार विश्वकर्मा के स्वास्थ्य की जानकारी ली। उन्होंने चिकित्सकों को श्री विश्वकर्मा के समुचित उपचार के निर्देश दिए। उप मुख्यमंत्री ने इसके बाद अस्पताल की व्यवस्थाओं तथा अन्य मरीजों के स्वास्थ्य की भी जानकारी ली। इस अवसर पर डीन मेडिकल कालेज डॉ सुनील अग्रवाल तथा अन्य चिकित्सक उपस्थित रहे।
क्रमांक-209-1648-फोटो क्रमांक 08 से 10 संलग्न हैं।
क्रमांक-201-1640-एसपी शुक्ल
श्री रामानुज कैंपस के लिये भूमि आवंटन संबंधी भौतिक सत्यापन कराने के निर्देश
रीवा (कीर्तिप्रभा) लक्ष्मणबाग कुठुलिया स्थिति भूमि खसरा क्रमांक 211 रकबा 2.0 हेक्टेयर, 212 रकबा 2.785 हेक्टेयर, हेक्टेयर, 208 रकबा 0.660 हेक्टेयर तथा 213 रकबा 2.708 हे. कुल रकबा 8.100 हेक्टेयर के अर्जन का आपसी सहमति से भौतिक सत्यापन कराने हेतु कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी, पीएचई, एसडीओ फॉरेस्ट तथा ज्ञानेन्द्र सिंह राजस्व निरीक्षण को निर्देशित किया गया है। अनुविभागीय अधिकारी हुजूर ने मौके का सत्यापन कर भूमि में स्थिति स्थावर सम्पत्ति का विवरण एवं आकलन कर सत्यापन रिपोर्ट दो दिवस में प्रस्तुतकरण के निर्देश दिये हैं।
आकाश से बरसी आग, 42 डिग्री सेल्सियस पहुंचा पारा
सुबह 10 बजे से चलने लगती है गरम हवाएं
बाजारों में दोपहर थम जाती है चहल-पहल
सीधी। जिले में लगातार मौसम का मिजाज बदलने के बाद अब गर्मी की विभीषिका दो दिनों से अपना रौद्र रूप दिखाने लगी है। सुबह 10 बजे के बाद से सूर्य देव की किरणे आग बरसाना शुरू कर देती हैं। लिहाजा बाहर निकलने वालों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दो दिनों से थर्मामीटर का पारा 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। तेज धूप एवं गर्म हवाओं के चलते बाजारों में दोपहर सन्नाटा पसरा नजर आने लगा है। गर्म हवाओं के चलने से लू लगने का खतरा भी काफी तेजी से बढ़ चुका है। स्थिति यह है कि अब लोग घर से बाहर निकलते हैं दोपहर में तेज धूप एवं लू से बचने के लिए गमछा या नकाब का सहारा लेने लगे हैं। जिससे लू के थपेड़ों से बचा जा सके। भीषण गर्मी में घर से बाहर निकलने पर लोगों को शीतल पेय जल की जरूरत भी महसूस होती है इस वजह से लोग पानी की तलाश में भी इधर-उधर भटकते देखे जा सकते हैं। शहरी क्षेत्रों में तो सार्वजनिक प्याऊ संचालित हो चुके हैं लेकिन कस्बाई क्षेत्रों में अब भी पानी को लेकर भटकाव बना हुआ है। आर्थिक रूप से सक्षम लोग तो होटलों से पानी के पाउच या बाटल लेकर अपनी प्यास बुझा लेते हैं लेकिन गरीब तबके के लोग हैण्डपम्प की तलाश में भटकते देखे जाते हैं। यह व्यवस्था न होने पर वह पानी के लिए होटलों में भी जाकर सम्पर्क बनाते हैं। जिला मुख्यालय में नगर पालिका परिषद द्वारा बाजार क्षेत्र के कुछ स्थानों में सार्वजनिक प्याऊ का संचालन शुरू करा दिया गया है। वर्तमान में वैवाहिक कार्यक्रमों का आयोजन होने के कारण बाजार क्षेत्र एवं बस स्टैण्डों में भीड़भाड़ ज्यादा रहती है। यदि गर्मी इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो आने वाले दिनों में नौतपा पर और ज्यादा समस्या गंभीर हो जाएगी। भीषण गर्मी में दोपहर घर से निकलने के बाद सबसे ज्यादा खतरा लू लगने का ही बना हुआ है। वर्तमान में दोपहर के समय यात्रियों की फजीहत सबसे ज्यादा हो रही है। यात्रियों के समक्ष पानी की समस्या बनी रहती है। यह अवश्य है कि अधिकांश लोग वाहनों में सफर के दौरान अपने साथ में पानी की बाटल लेकर चलते हैं, लेकिन सामान्य बाटल में पानी कुछ समय के अंदर ही पूरी तरह से गरम हो जाता है। फिर भी मजबूरी में लोग गरम पानी के सहारे ही सूखे कंठों को तर कर रहे हैं। जहां भी वाहन खड़े होते हैं यात्री नीचे उतरकर पानी की व्यवस्था में लग जाते हैं।
गर्म हवाओं से जनजीवन बेहाल
जिले में अधिकतम 42 डिग्री सेल्सियस तापमान तो न्यूनतम 23 डिग्री सेल्सियस तापमान बना हुआ है। सुबह 9 बजे तक जिले का तापमान 22 से 34 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया, इसके साथ ही हल्की पछुआ हवा शुरू हो गयी जो पहने गये कपड़ों को चीरती हुई शरीर में जलन पैदा कर रहा है, चार बजे भी जिले में तापमान 42 डिग्री बना रहा। जिसके कारण चार बजे भी लोगों को गर्मी से राहत नहीं मिली, हालांकि दो दिन पूर्व पूर्वा हवा के कारण लोग उमस भरी असह गर्मी महसूस की, सूर्य के तपीश के साथ ही उमस भरी गर्मी के कारण जन जीवन प्रभावित हो गया है. सुबह 11 बजे के करीब ही जिले का पारा 42 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया।
किसानों के लिए वरदान है सुपर सीडर - नरवाई का निदान और
रीवा (कीर्तिप्रभा). खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए शासन द्वारा कई योजनाएं लागू की गई हैं। किसानों को आधुनिक तकनीक का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसी कड़ी का उदाहरण सुपर सीडर है। सुपर सीडर ट्रैक्टर के साथ जुड़कर कार्य करने वाला ऐसा यंत्र है जो नरवाई की समस्या का निदान करने के साथ-साथ बुवाई भी करता है। जो किसान धान की खेती के बाद गेंहू और चने की बुवाई करते हैं उनके लिए यह अत्यंत उपयोगी है। सुपर सीडर धान अथवा अन्य किसी भी फसल के डंठल जिसे नरवाई कहा जाता है उसे आसानी से छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर मिट्टी मे मिला देता है। इसके उपयोग से नरवाई को जलाने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे एक ओर पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण होता है वहीं दूसरी ओर मिट्टी के ऊपरी परत के उपयोगी जीवाणुओं के जीवन की रक्षा भी होती है। सुपर सीडर से नरवाई वाले खेत में सीधे गेंहू, चने अथवा अन्य फसल की बोनी की जा सकती है। इसके उपयोग से किसान को नरवाई की झंझट से मुक्ति मिलती है। जो नरवाई किसान के लिए समस्या है उसे सुपर सीडर खाद के रूप में बदलकर वरदान बना देता है। संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में सुपर सीडर उपलब्ध है। शासन की योजनाओं के तहत किसान को सुपर सीडर खरीदने पर 40 प्रतिशत तक छूट दी जा रही है। सुपर सीडर सामान्य तौर पर एक घण्टे में एक एकड़ क्षेत्र में नरवाई नष्ट करने के साथ बुवाई कर देता है। गेंहू के बाद जिन क्षेत्रों में मूंग की खेती की जाती है वहाँ भी सुपर सीडर बहुत उपयोगी है। हार्वेस्टर से कटाई के बाद गेंहू के शेष बचे डंठल को आसानी से मिट्टी में मिलाकर सुपर सीडर मूंग की बुवाई कर देता है। सुपर सीडर के उपयोग से जुताई का खर्च बच जाता है। नरवाई नष्ट करने, जुताई और बुवाई एक साथ हो जाने से खेती की लागत घटती है। जिन किसानों के पास ट्रैक्टर हैं उनके घर के शिक्षित युवा सुपर सीडर खरीदकर एक सीजन में एक लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।
क्रमांक-206-1645-उमेश तिवारी-फोटो क्रमांक 06, 07 संलग्न हैं। बुवाई एक साथ