आखिर क्यों भारत का एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर ध्रुव जांच के दायरे में
नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद हवाई ऑपरेशंस तेज हुए हैं, लेकिन भारत की एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव फ्लीट का बड़ा हिस्सा अभी भी जमीन पर खड़ा है। करीब 330 हेलिकॉप्टरों में से केवल कुछ को ही उड़ान की अनुमति मिली है। बाकी पर पोरबंदर क्रैश की जांच पूरी होने तक रोक है।
5 जनवरी 2025 को भारतीय तटरक्षक बल का एक एएलएच ध्रुव हेलिकॉप्टर पोरबंदर में क्रैश हो गया था, जिसमें दो पायलट और एक गोताखोर की मौत हुई। हादसे के बाद पूरी फ्लीट को ग्राउंड किया गया। शुरुआती जांच में स्वैश प्लेट (रोटर ब्लेड को नियंत्रित करने वाला हिस्सा) में दरार मिली, जो दुर्घटना का संभावित कारण माना जा रहा है।
वहीं एचएएल चेयरमैन डॉ. डी.के. सुनील ने एयरो इंडिया 2025 में कहा कि ध्रुव में कोई मूलभूत डिजाइन खामी नहीं है। उनके मुताबिक पिछले 25 वर्षों में फ्लीट ने लाखों उड़ान घंटे पूरे किए। कुल 28 क्रैश हुए, जिसमें 13 तकनीकी खराबी, 13 इंसानी गलती और 2 अज्ञात कारणों से। “समस्या मेंटेनेंस और ट्रेनिंग की गुणवत्ता से जुड़ी हो सकती है।”
फ्लीट का सैन्य महत्व
कुल 330 हेलिकॉप्टर: सेना के पास 180 से अधिक (60 रुद्र वर्जन सहित), वायुसेना 75, नौसेना 24, तटरक्षक बल के पास 19 मौजूद है। इनका उपयोग सैनिक परिवहन, जासूसी, आपदा राहत, ऊंचाई वाले इलाकों में ऑपरेशन। सेना के एएलएच ने 2024 में करीब 40,000 घंटे उड़ान भरी।
वर्तमान स्थिति और आगे की चुनौतियां
कुछ सेना के हेलिकॉप्टर फिर से ऑपरेशन में हैं। नौसेना और तटरक्षक के एएलएच अभी भी जांच के अधीन। यदि स्वैश प्लेट समस्या व्यापक निकली, तब व्यापक तकनीकी सुधार की जरूरत होगी। सीमा सुरक्षा और आपदा राहत में एएलएच का अहम योगदान। स्वदेशी रक्षा उत्पादन की साख जुड़ी है। लंबे समय तक ग्राउंडिंग से सेना की तैयारियों और एचएएल की प्रतिष्ठा दोनों पर असर पड़ सकता है।